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कहानीःरात होने से पहले

धारावाहिक कहानीः
रात होने से पहले
 भाग 8-

गलत काम जहर उगल ही देता है।सरीन के साथ भी यही हो रहा था।अब वह खुफिया विभाग की नजरों में चढ़ चुका था।
कभी वह पलट कर अपनी अर्जित की संपत्ति देखता तो कभी वह अपनी पत्नी और बेटी को देखता। उसकी हालत सांप छूछूंदर की हो गई थी।
अगर चुप रहे तो आजीवन एक  कलंकित जीवन जीना पड़ेगा  फिर  कभी भी वह बड़े केसेस नहीं हैंडल कर सकेगा ,फिर अगर पुलिस का साथ दे तो चौधरी उसकी जान भी ले सकता है।
क्या करे ..न करे..।

असमंजस में कुछ समय गुजार उसने तय किया कि वह सच का साथ देगा।..अब फल जो मिले मैं  भुगतने के लिए तैयार हूँ।कल को कोई मेरी बेटी को एक पापी की बेटी तो नहीं बोलेगा।उसकी गलतियों की सजा तोनहीं भुगतना पड़ेगा।
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गुटरुं यानि पवित्रा का रूटीन चेकअप करा कर  एक रात सरीन ,शुभिता और पवित्रा घर लौट रहे थे
।लौटते लौटते रात घनी हो गई थी।सरीन पहले से ही टेंशन में था।उसे चौधरी का डर था ।उसने जब से पुलिस का मददगार बना था तब से ही चौधरी उसे कई बार धमका चुका था।इसलिए वह शुभि और बिटिया को खुद से दूर  पटना भेजने की पूरी तैयारी कर चुका था।
रात काफी हो गई थी । रास्ता भी उबड़ खाबड़ था ।बस घर सही सलामत पहुंच जांए।वह सोच रहा था कि तभी जोरों की फायरिंग शुरू हो गई।सरीन ड्राइव करते अचानक पड़ी विपत्ति से घबरा गया ।

अरे!!यह क्या?

उसे यह नहीं समझ आया कि ये हमला नक्सलियों का है या फिर किसी और का। वह समझ पाता कि एक गोली उसके सीने के पास से होती निकल गई।स्टीयरिंग से हाथ फिसला और  चलती गाड़ी स्लिप होकर एक पेड़ से टकरा गई।

बंम्म्!!!  की जोरदार आवाज करते का वहीं खड़ी ह़ी गई।

महिंद्रा एक्स यू वी फाइव..। यह वही गाड़ी थी ,उसे चौधरी ने दिया था।आज उसकी चिता  बन गया था।सरीन और उसका पुरा परिवार खून खून होकर बेहोश पड़ा था।

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लगभग दो हफ्ते तक कौमा में रहने के बाद जब सरीन को होश आया  तो  वह खुद को अस्पताल में पाया ।उसके सिर पर , छाती और बांये पूरे हाथ में पट्टी बंधी थी।वह बिस्तर  में असहाय सा  पड़ा था । उसने खुद पर नजर दौड़ाया ।एकदम  से उसे माधव नारायण की याद हो आई ।
अब  वह कुछ हद तक विक्षिप्त महसूस कर रहा था। यह हार थी या फिर दिल की धधकती  आग।वह गुस्से से भर उठा।
उसे लगा कि वह जोर से चीखे
चौधरी!!मैं तुम्हारा खून पी जाउंगा...!!!लेकिन उसकी आवाज गले में ही अटक गई।

"आप बहुत ही किस्मत वाले हैं जोकि बच गए । गोली दिल के बजाए एकदम करीब से गुजर गई।थैंक्स टू गौड..!!!"डौक्टर्स कह रहे थे।

"येस मि. रस्तोगी, गोली चलाई तो आपके दिल के लिए थी ताकि आपकी जुबान चुप्प हो जाए हमेशा के लिए.. लेकिन..!!थैंक गौड आप बच गए।" बयान  लेने आए पुलिस  औफिसर मुसकराते हुए कह रहे थे।

सरीन चुप था और बहुत डरा हुआ। डर बहुतायत में थे ।एक डर तो चौधरी से था पता नहीं कब प्राण हरण कर  ले ।दूसरा डर पुलिस का था ..कब कहाँ मुसीबत न खड़ी कर दे  ।तीसरा डर  पत्नी और बच्ची का था ..।...डरते डरते उसने पूछा
"डौक्टर!,म्..मेरी पत्नी और बच्ची!!क..कैसी...।आगे के शब्द आंसुओं में बदल गए।

"डोंट वरी!मि. रस्तोगी बोथ आर ओ.के. नाउ।चोटें तो आई थीं पर इंटरनल नहीं है,गनीमत है।  वे ठीक हैं ।दे आर इन देयर..।उंगली से इशारा कर डौ. ने कहा।
"क्या मैं उन्हें देख सकता हूँ.. एकबार।प्लीज़ डॉक्टर।"
"येस श्योर, बट नौट नाउ।आप अभी भी खतरे से बाहर नहीं हुए हैं।बस जिंदगी बच गई यही बहुत है।अभी आप को रेस्ट पर रहना है फुल   रेस्ट..।"
डौक्टर उसे शायद डराना नहीं चाहते हैं इसलिए शुभि और गुटरुं के बारे में कुछ बता नहीं रहे हैं । यह स़ोच वह डर कर अपनी आंखें बंद कर लिया।
"नर्स..!नर्स...!!"  सरीन बंद आंखों से अचानक चीख पड़ा
"क्या बात है वकील साहब?" नर्स आशा ने पूछा।

"मेरी बीवी, मेरी बच्ची .. कहाँ है। कैसी है? मुझे वहां ले चलो। प्लीज मुझे मिलवा दो।"

"जी, वो लोग ठीक हैं साहब। बहुत बड़ी इंजरी थी। पर अब सब ठीक है।"

"सर,जब मैडम यहां आई थीं तो सिर फटा था।खून निकल रहा था।
डौ. सर ने सर्जरी के लिए शहर से बुलवाया था।गौड का मिरेकल है कि सब कुछ अच्छा है।मैडम अभी भी यही ं है लेकिन अब सरबाइब कर लेगी  और  छोटी सी बच्ची बिल्कुल ठीक है।वह अभी अपने ग्रैंड पैरेंट्स के पास है।"
ओ..हं...।सरीन को इस मिरेकल की उम्मीद नहीं थी।
सरीन आंखें बंद कर लेट गया ।

***********क्रमशः

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3 Comments

Fauzi kashaf

02-Dec-2021 11:08 AM

Nice

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Zaifi khan

01-Dec-2021 09:39 AM

Very nice

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Kaushalya Rani

19-Oct-2021 07:24 PM

Good

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